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दूसरे पद में कवि कह रहा है कि
5कोई खंडित, कोई कुंठित,
कृष बाहु, पसलियां रेखांकित,
टहनी से टांगे, बढ़ा पेट,
टेढ़े मेढ़े, विकलांग घृणित!
विज्ञान चिकित्सा से वंचित,
ये नहीं धात्रियों से रक्षित,
ज्यों स्वास्थ्य सेज हो, ये सुख से,
लौटते धूल में चिर परिचित!
पशुओं सी भीत मुक्त चितवन,
प्राकृतिक स्फूर्ति से प्रेरित मन,
तृण तरुओं से उग-बढ़, झर-गिर,
ये ढोते जीवन क्रम के क्षण!
कुल मान ना करना इन्हें वहन,
चेतना ज्ञान से नहीं गहन,
जगजीवन धारा में बहते ये मूर्ख पंगु बालू के कण!
Q:
दूसरे पद में कवि कह रहा है कि
- 1गांव में विज्ञान की शिक्षा नहीं दी जा रही हैfalse
- 2गांव में शिशु जन्म हेतु पर्याप्त दाइयां नहीं हैtrue
- 3गांव में बच्चे स्वास्थ्य के प्रति सजग रहकर शारीरिक व्यायाम कर रहे हैंfalse
- 4गांव में बच्चे अपने मित्रों के साथ धूल में कुश्ती जैसे खेल खेल रहे हैंfalse
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