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निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए :

संसार के सभी धरम धर्मों में एक बात समान है, वह है प्रार्थना, ईश्वर भक्ति। प्रार्थना द्वारा हम अपने हदय के भाव प्रभु के सम्मुख रखते हैं और कुछ न कुछ उस शक्तिमान से माँगते हैं। जब हमें मार्ग नहीं सूझता तो हम प्रार्थना करते है। प्रार्थना  का फल उत्तम हो, इसके लिए हम अपने अंदर उत्तम  विचार और एकाग्र मन उत्पन्न  करने होते हैं, क्योंकि विचार ही मनुष्य  को पीड़ा पहुँचाते हैं या उससे मुक्त  करते है। हमारे विचार ही हमे ऊँचाई तक ले जाते हैं या फिर खाई में  फ़ेंक देते हैं। यह मन ही हमारे लिए दुःख लाता है और यही आनंद की ओर ले जाता है। यजुर्वेद के एक मंत्र के अनुसार यह मन सदा ही प्रबल और चंचल है। यह जड़  होते हुए भी सोते - जागते कभी भी चैन नहीं लेता। जितनी देर हम जागते रहते है, उतनी देर यह कुछ न कुछ सोचता हुआ भटकता रहता है। अव प्रश्न  यह उठता है कि मन जो अत्यंत गतिशील है, उसको स्थिर और वश में कैसे किया जाए। मन को वश मे करने  का यह तात्पर्य  नहीं कि यह गतिहीन  हो जाए और यह गतिहीन हो ही नहीं सकता। जिस प्रकार अग्नि का धर्म ऊष्ण  है उस परकार चंचलता मन का धर्म है|

Q:

मनुष्य की पीड़ा का कारण है -

  • 1
    मनुष्य की बुद्धि
  • 2
    मन में उतपन्न विचार
  • 3
    मनुष्य के कर्म
  • 4
    मन की निर्बलता
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Answer : 2. "मन में उतपन्न विचार "

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