निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर प्रश्नके उत्तर दीजिए :
इतिहास प्रमाणित कर देता है कि ऐसे दासत्व बहुत काल के उपरान्त एक अद्भुत संहारक शक्ति को जन्म देते हैं, जिसकी बाढ़ को रोकने में शक्तिशाली भी समर्थ नहीं हो सके। मनुष्य स्वभावतः जीवन से बहुत प्यार करता है, परन्तु जब सहयोगियों के निष्ठुर उत्पीड़न से वह नितान्त दुर्वह हो उठता है, तब उसकी ममता घोरतम विरक्ति में परिवर्तित हो जाती है। पीड़ितों का समाधान संभव हो सकता है, परन्तु ऐसे में हताश और जीवन के प्रति निर्मम व्यक्तियों का संभाषण संभव नहीं है। ऐसे व्यक्तियों का वेग आँधी के समान चक्षुहीन, बाढ़ के समान दिशाहीन और विद्युत के समान लक्ष्यहीन हो जाता है।
निम्न में से कौन - सा विकल्प जातिवाचक संज्ञा से भाववाचक संज्ञा बनने का है?
521 0621f451318802b47fa622540निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर प्रश्नके उत्तर दीजिए :
इतिहास प्रमाणित कर देता है कि ऐसे दासत्व बहुत काल के उपरान्त एक अद्भुत संहारक शक्ति को जन्म देते हैं, जिसकी बाढ़ को रोकने में शक्तिशाली भी समर्थ नहीं हो सके। मनुष्य स्वभावतः जीवन से बहुत प्यार करता है, परन्तु जब सहयोगियों के निष्ठुर उत्पीड़न से वह नितान्त दुर्वह हो उठता है, तब उसकी ममता घोरतम विरक्ति में परिवर्तित हो जाती है। पीड़ितों का समाधान संभव हो सकता है, परन्तु ऐसे में हताश और जीवन के प्रति निर्मम व्यक्तियों का संभाषण संभव नहीं है। ऐसे व्यक्तियों का वेग आँधी के समान चक्षुहीन, बाढ़ के समान दिशाहीन और विद्युत के समान लक्ष्यहीन हो जाता है।
'संहारक' शब्द का संधि - विच्छेद है
503 0621f442130b5265430efc381निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर प्रश्न के उत्तर दीजिए
महापुरुष लोग जब आते हैं हम, अच्छी तरह नहीं पहचान पाते, क्योंकि हमारा मन भीरू और अस्वच्छ है, स्वभाव शिथिल है, अभ्यास दुर्बल है. हमारे मन में वह क्षमता नहीं है जिससे हम महानता को पूरी तरह समझ सकें, उसको ग्रहण कर सकें. जो महापुरुष प्रेम देकर अपना परिचय देते हैं, उनको हम उनके प्रेम से किसी सीमा तक समझ भी सकते हैं. हम लोग समझ गए हैं कि,” गांधी जी हमारे हैं.” उनके प्रेम में ऊंच-नीच का अंतर नहीं है, मूर्ख और विद्वान का अंतर नहीं है, अमीर और गरीब का भेद नहीं है. उन्होंने अपना प्रेम सभी को समान रूप से वितरित किया है. उन्होंने कहा,” सबका कल्याण हो, सबका मंगल हो “. उन्होंने जो भी कहा है वह केवल बातों से नहीं कहा है अपितु दुख की वेदना से कहा है. उनका धैर्य देखकर, ममता देखकर, उनका संकल्प सिद्ध हो गया है, किंतु किसी प्रकार की जोर जबरदस्ती से नहीं अपितु त्याग द्वारा, दुख द्वारा, तपस्या द्वारा वह अपने संकल्प में सफल हुए
'महापुरुष' में प्रयुक्त समास का नाम क्या है?
544 0621f40ba30b5265430efa1c2‘कुच - कूच’युग्म का सही अर्थ है?
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