Join Examsbook
859 0

"साहित्य का आधार जीवन है। इसी आधार पर साहित्य की दीवार खड़ी होती है। उसकी अटारियां, मीनार और गुंबद बनते हैं। लेकिन बुनियाद मिट्टी के नीचे दवी पड़़ी है। जीवन परमात्मा की सृष्टि है, इसलिए सुबोध है, सुगम है और मर्यादाओं से परिमित है । जीवन परमात्मा को अपने कामों का जवाबदेह है या नहीं हमें मालूम नहीं,हीं लेकिन साहित्य मनुष्य के सामने जवाबदेह है। इसके लिए कानून है जिनसे वह इधर-उधर नहीं जा सकता। मनुष्य जीवनपर्यंत आनंद की खोज में लगा रहता है। किसी को यह रत्न, द्रव्य में मिलता है, किसी को भरे-पूरे परिवार में, किसी को लंबे-चीड़े भवन में, किसी को ऐश्वर्य में । लेकिन साहित्य का आनंद इस आनंद से ऊँचा है। उसका आधार सुंदर और सत्य हे। वास्तव में सच्चा आनंद सुंदर और सत्य से मिलता है, उसी आनंद को दर्शाना वही आनंद उत्पन्न करना साहित्य का उद्देश्य है।"

Q:

मनुष्य किसकी खोज में जीवन भर लगा रहता है

  • 1
    परमात्मा की
  • 2
    आनंद की
  • 3
    साहित्य की
  • 4
    रत्न द्रव्य भरे पूरे परिवार लंबे चौड़े भवन एवं ऐश्वर्य को पाने की
  • Show AnswerHide Answer
  • Workspace

Answer : 2. "आनंद की"

Are you sure

  Report Error

Please Enter Message
Error Reported Successfully