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वे दिन चले गये,  जब साहित्य वैयक्तिक प्रेम और विरह के हल्के गाने गाकर समाज में आदर का अधिकारी समझा जा सकता था। आज उसे वैयक्तिकता से ऊपर उठकर समूह के सपनों और समूह की आकांक्षाओं को चित्रित करना होगा । जिस प्रकार वैयक्तिक मोक्ष की जगह सामाजिक मुक्ति ने ले ली है, उसी प्रकार साहित्य में भी वैयक्तिक भावनाओं से ऊपर सामूहिक आवेगों को प्रधानता मिलनी चाहिए। और जिस प्रकार, समूह की मुक्ति को गाँधी जी ने वैयक्तिक मोक्ष का साधन माना था, उसी प्रकार हमें वैयक्तिक अनुभूतियों को भी सामूहिक अनुभूति के माध्यम से लिखना होगा।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर उपरोक्त गद्यांश के आधार पर दीजिए 

Q:

साहित्य को किसकी आकांक्षाओं को चित्रित करना होगा? 

  • 1
    शोषित
  • 2
    व्यक्ति
  • 3
    समूह
  • 4
    ग़रीब
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  • Workspace

Answer : 3. "समूह "

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